जगराम सिंह घाटमपुर
घाटमपुर,कानपुर में रविवार रात (9 मई) में चोरी की पूछताछ को बेटी के साथ थाने आई महिला सुबह आशा ज्योति केंद्र के बाथरूम में फांसी से लटकती मिली खास बात है कि महिला को जिस चोरी के मामले में पूछताछ के लिए थाने लाया गया था, वह चोरी 22 दिन पहले यानी 17 अप्रैल को हुई थी और पुलिस ने 22 दिन बाद इस चोरी की रिपोर्ट भी 9 मई की रात को तीन बजे दर्ज की, जिसमें महिला की बेटी को मालिक के यहां चोरी का आरोपी बनाया गया है|पूरा मामला एनआरआई सिटी में रहने वाले व्यापारी रमन नोमानी से जुड़ा हुआ है. नोमानी का आरोप था कि उनके घर में काम करने वाली लड़की ने ज्वैलरी चोरी की है, पुलिस ने तब नोमानी की एफआईआर तो दर्ज नहीं की लेकिन लड़की के घर पर छापा मारने पहुंच गई. इसके बाद पुलिस ने लड़की और उसकी मां को थाने लाकर जेवर वापस करने का दबाव बनाया. इसके बाद रात 8 बजे पुलिस ने मां-बेटी को थाने में पूछताछ के लिए फिर बुला लिया. महिला अपनी बेटी के साथ रात आठ बजे नबाबगंज थाने पहुंच गई | महिला की सास का कहना है कि बहु के पीछे मैं भी थाने आई थी, पुलिस मुझे बाहर करके बहु-बेटी से पूछताछ करती रही, रात एक बजे मैं बहु-बेटी को सही सलामत छोड़कर पैदल ही घर गई थी, आज दोपहर पुलिस बुलाने गई कि चलो अपनी बहु से मिल लो, मेरी बहु को पुलिस ने मार डाला, पुलिस ने रात में उनको गिरफ्तार कर लिया था| वहीं, नबाबगंज पुलिस के अनुसार उन्होंने पूछताछ के बाद महिला को घर जाने को कहा था लेकिन वह अकेली थी इसलिए उसे आशा ज्योति केंद्र में रखवा दिया गया था जहां सुबह नौ बजे के लगभग वह बाथरूम में एडजस्ट के सहारे फांसी पर लटकी मिली. महिला को रात दो बजे आशा ज्योति केंद्र में दाखिल किया गया था, उसके बाद रात साढ़े तीन बजे केस दर्ज किया गया| राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर ने बताया कि शनिवार रात में ड्यूटी पर माया वर्मा तैनात थीं। रात ढाई बजे के आसपास नवाबगंज थाने से सबइंस्पेक्टर आलोक कुमार एक महिला सिपाही के साथ सुदामा को लेकर वन स्टॉप सेंटर पहुंचे थे। उन्होंने माया वर्मा को थाने का कागज थमाया और सुदामा को रखने के लिए कहा। माया ने बिना अधिकारी या कोर्ट के आदेश के रखने से मना कर दिया। इस पर सब इंस्पेक्टर ने जबरदस्ती सुदामा को अंदर कर दिया और चला गया। । वहीं वन स्टॉप सेंटर के रजिस्टर में कहीं भी सुदामा की इंट्री नहीं मिली। पूनम कपूर ने बताया कि पुलिस ने अवैध तरीके से सुदामा को वन स्टॉप सेंटर में रखा था। दरअसल यहां केवल पॉक्सो और दहेज के मामलों से संबंधित महिलाओं को रखा जाता है।
उपरोक्त मामले में पुलिस मानवाधिकार एक्शन फोरम के अध्यक्ष शुभम द्विवेदी अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने तीन मुख्य कानून का खंडन किया है जिसकी वजह से महिला सुदामा की जान चली गई।इस मामले में पुलिस बिना FIR दर्ज किए थाने में नहीं बुला सकती है लेकिन तब भी बुलाया गया जोकि विधि विरुद्ध है छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था जिसमें हाई कोर्ट जस्टिस संजय के. अग्रवाल ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 से संबंधित फैसले में कहा कि सी.आर.पी.सी की धारा 154 के तहत किसी भी एफ आई आर से पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं की जा सकती है |उपरोक्त मामले में सूर्यास्त के बाद महिला को थाने में पूछताछ के लिए बुलाया गया जोकि विधि विरुद्ध है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं इस दौरान पुलिस किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने भी नहीं बुला सकती है।उपरोक्त मामले में महिला को बिना किसी एंट्री किए हुए आशा ज्योति केंद्र में रखा गया जोकि विधि विरुद्ध है और अवैध पूर्वक महिला को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया क्योंकि यहां केवल पॉक्सो और दहेज के मामलों से संबंधित महिलाओं को रखा जाता है ।
मानवाधिकार एक्शन फोरम एक समाज सेवी संगठन होने के नाते इस संवेदनशील मामले को मुख्यमंत्री संयुक्त सचिव भास्कर पांडे एवम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराकर जांच की मांग की है और लिखित पत्र में कहा है कि यदि जाँच में पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आती है तो जिन पुलिसकर्मियों ने उपरोक्त मामले में कानून का खंडन किया एवं जिसकी वजह से महिला की मृत्यु हो गई उन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए एवं जाँच कर रिपोर्ट संगठन को प्रेषित किया जाए |
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