सुनवाई के दौरान दोनों पत्रकारों ने कोर्ट को बताया था कि अन्य अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले दो पुलिस अधिकारियों ने एक रेस्टोरेंट में उन्हें ये दस्तावेज सौंपे थे. इस पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऐसा पत्रकारों को पकड़ने के लिए बनाई गई योजना के तहत किया गया था. अधिकारी के मुताबिक रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार से जुड़ी रिपोर्टिंग रोकने के चलते दोनों पत्रकारों के खिलाफ यह जाल बिछाया गया था.
वहीं, अदालत से सजा पाए वा लोन ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया और उन्हें किसी तरह का डर नहीं है. लोन ने कहा, ‘मैं न्याय, स्वतंत्रता और लोकतंत्र में विश्वास करता हूं.’
गौरतलब है कि इससे पहले पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र (यूएन) समर्थित फैक्ट फाइंडिंग मिशन की एक रिपोर्ट में म्यांमार की सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या की, उन्हें जेल में डाला और यौन शोषण किया. इसलिए म्यांमार के शीर्ष सैन्य अफसरों पर नरसंहार का मामला चलना चाहिए. हालांकि म्यांमार ने फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया.
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