आवाज ब्यूरो।
बुधवार को उच्चतम न्यायालय में राफेल मामले में हलफनामा दायर कर रक्षा मंत्रालय ने पुर्नविचार याचिकाओं के साथ दाखिल दस्तावेजों को संवेदनशील बताते हुए, सर्वोच्च न्यायालय से याचिकाकर्ताओं को अति गोपनीय रक्षा जानकारियॉं लीक करने के आरोप में दण्ड देने की पुरजोर मॉंग की है।
ध्यान दिये जाने योग्य है कि अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने छः मार्च को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आरोप लगाया था कि पुर्नविचार याचिका उन दस्तावेजां पर आधारित है, जो रक्षा मंत्रालय से चुराये गये हैं।
शीर्ष अदालत में दाखिल किये गये हलफनामें में केन्द्र सरकार ने कहा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवन्त सिन्हा व अरूण शौरी तथा कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल की गई याचिका व्यापक रूप से वितरित की गई है, और यह देश के विरोधियों के पास मौजूद है। यह दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये संवेदनशील है, और यह विमान की युद्धक क्षमता से सम्बंधित हैं।
हलफनामें में कहा गया है कि, ‘‘इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। केन्द्र सरकार की सहमति, अनुमति, या सम्मति के बगैर, वे जिन्होंने, इन संवेदनशील दस्तावेजां की फोटो प्रतियॉं करने, और इन्हें पुर्नविचार याचिकाओं के साथ संलग्न करने की साजिश रची है और ऐसा करके ऐसे दस्तावेजों की अनधिकृत तरीके से फोटोप्रति बनाकर चोरी की है, ने देशों की सार्वभौमिकता, सुरक्षा, और देशों के साथ के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है.‘‘
वहीं दूसरी ओर राफेल लड़ाकू विमान सौदे के लिये केन्द्र सरकार पर हमला करते हुए राहुल ने कहा कि लड़ाकू विमान की क्षमता पर कोई सवाल ही नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार का मुद्दा है, और इसकी जॉच कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘सवाल बस इतना है कि नरेन्द्र मोदी और अनिल अम्बानी ने 30,000 करोड़ रूपये चुराये. हम जॉच चाहते हैं और (मैं) 100 फीसदी आश्वस्त हूॅ कि जॉच होने पर उन्हें दोषी ठहराया जायेगा।‘‘
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