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साभार - सोशल मीडिया |
एक वक्त था जेट एयरवेज़
100
से ज़्यादा प्लेन उड़ाती
थी और इसे भारत की नंबर वन एयरलाइन कहा जाता था.
लेकिन पिछले कुछ महीनों
से जेट में आर्थिक परेशानियों की खबरें आने शुरू हो गई थीं और लोगों की सैलरी में
देरी होनी लगी.
कर्ज़दारों के कर्ज़ न
लौटा पाने के कारण एयरलाइन को अपनी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रोक देनी
पड़ीं.
जेट की आर्थिक चुनौतियों के लिए डॉलर के मुकाबले रुपए में कमज़ोरी, स्पाइस जेट, इंडिगो जैसी सस्ते
किरायों वाली एयरलाइन्स से कंपीटीशन, तेल के दामों में
उथल-पुथल जैसे कारणों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
इसके अलावा जानकार एयर
सहारा को खरीदने के फ़ैसले और मैनेजमेंट के काम करने के अंदाज़ को भी जेट की ख़राब
आर्थिक हालात के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हैं.
जेट एयरवेज़ के पे-रोल
पर 16,000
कर्मचारी हैं. इसके
अलावा करीब 6,000 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं.
गुरुवार को जेट एयरवेज़
के सैकड़ों कर्मचारियों और उनके परिवारों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
किया.
प्रदर्शन में शामिल हुईं अनी झा ने कहा कि
अगर
हमारा कोई फ़ैसला नहीं हुआ तो हम और हमारे परिवार में से कोई वोट देने कोई नहीं
जाएगा. हम लोग दूसरों से पैसे ले लेकर घर चला रहे हैं. इस उम्र में हमें मां-बाप
का सहारा बनना चाहिए और उन्हीं मां-बाप से पैसे लेकर हम घर चला रहे हैं. हम यहां
किराए पर रह रहे हैं.
इसी दिन के लिए हमने
अपने 22
साल जेट एयरवेज़ को दिए? हम सड़क पर आ गए हैं.
वहीं संगीता मुखर्जी ने कहा कि मेरी मां कैंसर से पीड़ित है. मेरा बेटा नौवीं कक्षा में है. उसकी फ़ीस जमा नहीं हुई है.
मम्मी का ट्रीटमेंट बंद
हो गया है. सरकार को कोई तो कदम लेना चाहिए. ऐसे नहीं चल सकता है - कि कोई कुछ भी
करे और लंदन में बस जाए.
जेट का स्टाफ़ टेंशन और
डिप्रेशन में है. वो लोग शायद ठंडे दिमाग़ से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हम घरवाले ऐसा
नहीं कर पा रहे हैं.
मोदी जी प्लीज़ कुछ
कीजिए. ये जो हम देख रहे हैं वो अच्छे दिन हैं क्या? नरेश गोयल कहां हैं? उन्हें बुलाइए. ये सब
मीडिया के सहारे चल रहा है. क्यों कोई सामने नहीं आ रहा है?
जंतर मंतर पर
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि वे सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं] न ही अपने मैनेजमेंट
का। वे बस चाहते हैं कि जेट एयरवेज को पुनः संचालित किया जाये।
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