आवाज़ ब्यूरो ।
घाटमपुर। झारखंड राज्य के सरायकेला जिले में 28 साला यूवक तबरेज़ अंसारी की भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या कर दिए जाने के विरोध में एवं भीड़तंत्र द्वारा दिन-ब-दिन मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आने पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़ा क़ानून बनाने व तबरेज़ की मौत के गुनाहगारों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर बीते शुक्रवार की दोपहर घाटमपुर काजी-ए-शहर सरताज रज़ा क़ादरी के नेतृत्व में जामा मस्जिद घाटमपुर के बाहर मुस्लिम समुदाय व कसबे के अमनपसंद लोगों द्वारा प्रदर्शन किया गया। इस दौरान लोगों ने हाथों में, तबरेज़ अंसारी को फांसी दो, स्टॉप मॉब लिंचिंग, मज़लूमों पर अत्याचार बंद करो, कातिलों को फांसी दो, आदि नारे लिखी हुई तखतियां लिए हुए थे।
काजी-ए-शहर सरताज रज़ा क़ादरी ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदर्शन का मकसद मुल्क में आपस में भाईचारा और अमन कायम करना है, ताकि ऐसी कोई भी घटना दुबारा न हो सके। ज्ञात हो की पिछले कई वर्षों में 40 के करीब मॉब लिंचिंग की घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिसके शिकार मुस्लिम समुदाय समेत पिछड़े वर्ग के एवं दलित तथा पूर्वोत्तर राज्यों के निवासी रहे हैं। भीड़तंत्र द्वारा लोगों को सड़कों पर घसीट कर मार दिए जाने की ख़बरें प्रसारित होने से विदेशों में भी भारत सरकार की तीव्र आलोचना हुई है। मुल्क में मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए कोई घोषित क़ानून नहीं है। जिससे मुल्क के अमनपसंद लोग मॉब लिंचिंग के खिलाफ कडा क़ानून बनाने की मांग कर रहे हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शहर काजी मौलाना सरताज रजा, मौलाना मोहम्मद अहमद, कारी लाइक, हाफिज मोहम्मद कासिम, हाजी बदलू, इस्लाम कुरैशी, कमर अंसारी, अब्दुल रशीद बरकाती, डॉ उस्मान बरकाती, सोहेल इलाही, हाफिज गुल, मोहम्मद मुर्तजा कुरेशी, ओवैस रजा, तौसीफ रजा, सभासद मोहम्मद शाहबान कुरेशी, भूरा कुरैशी सहित आधा सैकड़ा लोग मौजूद रहे ।
सुप्रीम कोर्ट जारी कर चुका है निर्देश
मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने पर भारत सरकार की मंशा पर भले ही प्रश्नचिन्ह खड़े किये जा रहे हों परंतु उच्चतम अदालत कई मौकों पर भीड़तंत्र की हिंसा पर लगाम लगाने को प्रतिबद्ध नजर आयी है। उच्चतम न्यायालय ने 16 जुलाई 2018 को संसद को राय दी थी की उसे'लोगों को कानून हाथ में लेने से रोकने के लिए क़ानून बनाना चाहिये।' आगे कहा गया था कि "इसे बहुत मज़बूती के साथ रोका जाना चाहिए....कोई नागरिक कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता और न ही स्वयं कानून बन सकता है।" अदालत की तल्ख़ टिप्पड़ी के बाद सरकार में इस मुद्दे पर क़ानून बनाने या न बनाने पर चर्चा जारी है।
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