पास्टर जगराम सिंह:-
घाटमपुर,क्षेत्र के बौहारा गांव में नवयुवक कवि संदीप उत्तम उगते हुए सूरज की तरह समाज को रोशनी दिखाने का काम कर रहे हैं। उनके उपर यह कहावत ठीक बैठती है कि जहां पर न जाएं रवि वहां पहुंचे कवि।उत्तम जी ने कई कविताओं की रचना की है। और प्रकाशित भी हुई हैं।सारे समाज को मिलकर उन्हें उठाने की जरूरत है जिससे उनका मनोबल बढ़ सके। और पूरे देश में जिले का नाम ऊंचा कर सके। उन्होंने कठिन परिश्रम से इस कविता को लिखा है।
इसी क्रम में दहेज से पीड़ित बेटियों के दर्द को कविता के माध्यम से समाज को रोशनी दिखाने की कोशिश की है। जो आज नारी की दुर्दशा है।
कविता:-
"दहेज एक अभिशाप"
१:मेरे पापा ने मुझे बड़े नाजों से पाला था।
जब मैं पैदा हुई तो पूजा हर मंदिर, हर शिवाला था।
२:अपने शौक़ पीछे छोड़,मुझे हर खुशी प्रदान की,
मेरी हर मुस्कान पापा के लिए एक उजाला था।
मेरे पापा ने......
३:मैं उनकी नज़रों में परी थी,राजकुमारी थी।
मेरी एक मुस्कान से खिल जाती उनकी फुलवारी थी।
४:मेरे हर जज्बात समझ, सब हसरत पूरी की,
मेरी हर छोटी से छोटी बात को,कभी नही टाला था।
मेरे पापा ने.....
५:जब शादी करके अपने ससुराल को आई थी।
मेरा एक सपनों का महल होगा,ये मंशा दिल मे जगाई थी।
6-सास ससुर को अपने माँ बाप समझ,मन से रिश्ता निभाया,
पर उन दहेज के लोभियों का दिल काला था।
मेरे पापा......
7-मेरे मायके की वो खिलखिलाहट ,अब सिसकियों में बदलने लगी।
मैं अपने सब फर्ज निभाती, फिर भी सास प्रताड़ित करने लगी।
8-रोज रोज की मार पीट अब आम बात थी ,
मेरा हर सपना टूट गया जो सपनो में पाला था।
मेरे पापा ने.......
9-मुझे कुल्टा कुलक्षणी ,भिखारन बोला गया।
मेरे पवित्र रिश्ते को पैसों से तोला गया।
जिस बेटी ने कभी घर में ऊंची आवाज न सुनी थी,
दिया गया गाली गलौच का उसे निवाला था।
मेरे पापा ने....
10-मुझे कई दिन तक भूंख से तड़पाया गया।
फिर बन्द कमरे में केरोसिन से नहलाया गया।
जिसे देवता समझ रिश्ता जोड़ा था मैंने,
आज उसी के द्वारा मुझे जलाया गया।
मेरे पापा ने......
11-कब तक एक हंसती खेलती चिड़िया के पर काटोगे।
समाज के दहेज रूपी जहर को कब तक बांटोगे।
कल को तुम्हारी भी बेटी ससुराल जाएगी,
फिर न कहना कि बेटी का ये दर्द न संभाला गया।
मेरे पापा ने.......sandy
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