ए. सूफियान
- बाबा की दवा खाने से एक की मौत
- रात के अंधेरे में मरीजों को देता था, नशीली दवा
- आधा दर्जन हुए बीमार, करा रहे अस्पतालों में इलाज
घाटमपुर । अंधविश्वास की पैदाइश स्वयंभू बाबाओं पर भरोसा करना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका उदाहरण साढ इलाके के चिरली गांव में देखने को मिला। जहां पर ढोंगी बाबा से लेकर खाई हुई दवा के प्रभाव से एक ग्रामीण स्वर्ग सिधार गया वही आधा दर्जन अस्पतालों में भर्ती होकर जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। मामला साढ इलाके के ग्राम चिरली का बताया जाता है ।
इलाके में बाबा की लोकप्रियता का आलम यह था कि बाबा लोगों को टोकन से दवाएं वितरित करता था और एक खुराक की कीमत 30 रूपये होती थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार साढ इलाके के चिरली गांव निवासी बुद्धू सिंह के पुत्र शिव शरण सिंह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके पुत्र रामबहादुर के अनुसार बाबा की लोकप्रियता सुनकर वह भी मंगलवार को देर शाम दवा लेने पहुंचे। आरोप है कि दवा खाने के बाद शिव शरण सिंह की तबीयत बिगड़ने लगी और इलाज को ले जाते हुए रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया।
जिस पर परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस आने की सूचना पाकर बाबा और उसके चेले भागने की फिराक में थे तभी गांव के लोगों ने उन्हें धर दबोचा और पुलिस को सौंप दिया है।
जानकारी करने पर पता चला है कि गांव के ही विमल पुत्र शिवराज सिंह, पिंटू पुत्र कुशल सिंह व भोला मिश्रा भी बाबा की दवा खाने के बाद अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
मृतक शिव शरण सिंह के पुत्र रामबहादुर सिंह ने आरोप लगाया है कि उक्त बाबा लोगों को नशीली दवाएं देता था, जिन की मात्रा कम या अधिक हो जाने से रोगियों की दशा अत्यधिक चिंतनीय बन गई है। गौरतलब बात यह है कि बाबा शाम को 6:00 बजे के बाद ही दवाएं वितरित करता था।
सूत्रों के अनुसार गांव के लोगों ने पहले भी बाबा को दवा देने से मना किया था एवं गांव से भगा दिया था लेकिन कुछ समय पूर्व से ही वह गांव के ही जयप्रकाश पुत्र भूरा के खेत में छोटा सा आश्रम बनाकर अपने चेलों के साथ रह रहा था और अवैध इलाज का कारोबार चला रहा था। पुलिस बाबा से पूछताछ कर रही है।
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