आवाज़ डेस्क
कटिया के सहारे सबमर्सिबल पंप कनेक्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत" का नारा दे रहे हैं एवं महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षित सुलभ शौचालय व्यवस्था को लेकर शासन द्वारा बनवाए जा रहे सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का हाल बेहद ही बुरा है. जहां गांव से आधा किलोमीटर दूर सुनसान पर अधिकतर शौचालय बनवाए गए हैं. वहीं बनाए गए शौचालय बाहर से तो चकाचक है पर अंदर की व्यवस्था देख कर लगता है कि ढोल के अंदर पोल.
हथेरुआ शौचालय के बनते ही दुर्दिन शुरू
एक ऐसा ही सामुदायिक महिला शौचालय कांप्लेक्स तहसील क्षेत्र के हथेरुआ गांव में देखने को मिला. जहां हकीकत परखने के लिए संवाद सूत्र जब मौके पर पहुंचा तो पाया कि शौचालय कांप्लेक्स में ताला लगा हुआ है. ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि महीनों से शौचालय का ताला नहीं खुला है.वही ग्राम प्रधान से इस बाबत पूछा गया तो प्रधान द्वारा बताया गया कि कांप्लेक्स के अंदर टाइल्स का काम होने के चलते कांप्लेक्स को बंद कर दिया गया था.
अंदर की व्यवस्था दिखाने पर देर तक टालमटोल करने के बाद प्रधान ने ताला खोला तो अंदर की व्यवस्था देख कर सर घूम गया. जहां कांप्लेक्स के अंदर टोटिया टूटी पड़ी थी. वही कमोड उखड़े पड़े थे. सीटों के बीच गिट्टी, मोरम,बोरिया भरी थी. किसी भी सुलभ के मुर्गे पर पानी नहीं था. मतलब साफ था कि कांप्लेक्स का जब से निर्माण हुआ तब से खोला ही नहीं गया. बिजली कनेक्शन कटिया से चल रहा था. तार नंगे पड़े थे और गंदगी पूरे कांप्लेक्स में भरी हुई थी.
प्रधान से जब कारण पूछा गया तो फिर वही एक बात की टाइल्स का काम चल रहा है. इसलिए इस तरह की व्यवस्था हो गई है. भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब सुलभ कांप्लेक्स की बिल्डिंग को ध्यान से देखने में पता चला काम पूरा भी नहीं हुआ टाइल्स का काम चल रहा है और सुलभ कांप्लेक्स की बाहरी दीवारों में दरारे साफ देखी जा सकती है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी पैसों का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है. हालांकि प्रधान ने कहा कि पहले शौचालय चलता रहा है. ग्रामीणों से पूछने में पता चला की शौचालय निर्माण के बाद एक बार भी कांप्लेक्स को आम जनता के लिए नहीं खोला गया है.
बहानों की व्यवस्था में परेशान महिलाओं ने सुनाया दुखड़ा
सुलभ कांप्लेक्स के बगल में ही पंचायत कार्यालय का भी निर्माण हुआ है. जिसके बगल में एक और शौचालय बना है. व्यवस्था उसकी भी डरावनी थी. 5 सीटर शौचालय के सभी सुलभ में सीटों के बीच में मट्टी भरी हुई थी. संवाद सूत्र को सुलभ कांप्लेक्स के बगल में कुछ मनरेगा का कार्य करने वाली महिलाएं मिली. मीडिया को देखते ही महिलाओं ने अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया. बोली कि सुलभ कांप्लेक्स निर्माण में मनरेगा के तहत काम किया पर शासन द्वारा उन्हें पैसा नहीं मिला. दीपावली में प्रधान ने अपने पास से ₹500-500 सभी को दिए और बोला था जब पैसा आ जाए तो वापस कर देना.
अब ऐसे में सोचा जा सकता है कि ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लेते होंगे. जहां सरकार महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए वचनबद्ध है .वही नीचे स्तर के जिम्मेदार सरकारी योजनाओं को पतीला लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हधेरूवा गांव में कांप्लेक्स के बाहर मिले नागेंद्र सिंह ने भी यही बताया कि जब से कांप्लेक्स बना है तब से उस पर ताला लटका हुआ है.प्रधान द्वारा बताया गया जल्द ही टाइल्स का काम खत्म होते ही कांप्लेक्स को सभी के लिए खोल दिया जाएगा।.
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