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21.11.21

रंजीतपुर हत्याकांड : विरोधी को फँसाने के लिए साधू बाबा ने ही करवाया था अपने ममेरे भाई को कत्ल


आवाज़ डेस्क : घाटमपुर

संपत्ति का लालच व्यक्ति को अंधा बना देता है, और व्यक्ति आत्मघाती कदम उठा बैठता है। ऐसा ही एक वाकया घाटमपुर के रंजीतपुर में सामने आया है, जहॉं संपत्ति हड़पने के लिये एक साधू बाबा ने अपने ही ममेरे भाई की हत्या करवा दी और अपने विपक्षी को हत्या के मामले में जेल भिजवाने की साजिश रची। लेकिन विरोधाभासी बयानों और बेंजाडाइन फोरंेसिक टेस्ट ने सारी हकीकत खोल कर रख दी। पुलिस ने हत्या का सूत्रधार पाने पर रिपोर्ट लिखाने वाले बाबा को ही जेल भेज दिया है। साथ ही साथ हत्या को अंजाम देने वाले बाबा रामगिरी के साथ सुदर्शन सोनकर को भी जेल भेजा गया है। सुदर्शन की निशानदेही पर उसके घर से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद की गई है। 

 

क्या था पूरा मामला 

 

घाटमपुर थाना क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में आबाद रंजीतपुर गॉव के बाहरी इलाके मंे एक कुटिया में एक बाबा रामगिरि उर्फ रामदास अपनी शिष्या भाग्यवती के साथ निवास कर रहा था। करीब 2 साल से बाबा रामगिरी का ममेरा भाई सर्वेश बाबा के साथ निवास कर रहा था। दिनॉक 18/19.11.2021 की मध्य रात्रि को डायल 112 को फोन कर बाबा रामगिरी को सूचना देता है कि उसके ममेरे भाई सर्वेश की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी गई है। बाबा रामगिरी का उस कुटिया की भूमि को लेकर गॉव के ही मुंशीलाल से मुकदमा चल रहा था। बाबा ने मुंशीलाल पर ही हत्या कर देने का आरोप लगाया। आनन फानन में पुलिस मंुशीलाल को गिरफ्तार कर लेती है। वहीं कुटिया में सोने वाली बाबा की शिष्या बताती है कि रात्रि में उसे कुछ लोगों ने रजाई ओढाकर दबा दिया था। जब वह छूटी तो उसने आवाज लगाई जिस पर करीब 200 मीटर दूर एक मकान में सो रहा बाबा रामगिरी लोगों के साथ आये और देखा तो सर्वेश की हत्या कर दी गई है। तब पुलिस को सूचना दी गई। 

हत्या कांड का खुलासा करते क्षेत्राधिकारी व इन्सेट  मे मृतक


एक अति वृद्ध महिला के चिल्लाने पर बाबा के सोने के स्थान तक आवाज जाने की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी। वहीं मुंशीलाल के मुकदमें में फैसला मुंशीलाल के हक में आता दिख रहा था। ऐसे में मुुंशीलाल हत्या करेगा, ऐसी संभावना कम ही थी। साथ ही साथ जब पुलिस ने मुंशीलाल को गिरफ्तार किया तो वह गीली मिट्टी से सना हुआ था, और बकौल मुंशीलाल वह खेत में गॉव के ही धर्मेंद्र के साथ पानी लगा रहा था। ऐसे में मुंशीलाल पर संदेह भी कम जा रहा था। इसी दौरान खबर मिलती है कि बाबा रामगिरि और बलहापारा के कुछ लोगों ने कुटिया के नजदीक दावत की है। जिसमें बलहापारा गॉव के कुछ लोग भी शामिल थे। जिसके बाद सर्वेश के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस बाबा रामगिरि उर्फ रामदास को भी पूछताछ के लिये उठा लेती है।


10,000/- रूपये में दी थी, सर्वेश के कत्ल की सुपारी, 500 दिये थे पेशगी


कुटिया की पौने दो बीघा जमीन जो कि गॉव के मंुशीलाल के नाम भूमिधरी थी, जल्द ही अदालत में फैसला आने के बाद मुंशीलाल के पास वापस जाने वाली थी। खुद के बेदखल होने की आशंका से बाबा रामदास बहुत ही परेशान थे। इसी दौरान रामदास ने अपने साथी सुदर्शन खटिक के साथ मिलकर मुंशीलाल को हत्या में फंसा देने की साजिश रची। सूत्रों के अनुसार पहले रामदास ने अपनी अति वृद्ध शिष्या भाग्यवती की हत्या की साजिश रची। परन्तु मन बदल जाने पर अपने ममेरे भाई सर्वेश की हत्या की सुपारी सुदर्शन को 10,000/-रूपये में दे डाली। हत्या से पहले रामदास ने सुदर्शन को 500 रूपये पेशगी दिये थे। जिससे शराब पार्टी की गई और देर रात सुदर्शन कुटिया में गया और सर्वेश की ताबडतोड़ कुल्हाड़ी के वारों से हत्या कर डाली। बाबा रामदास ने डायल 112 को सूचना दी और पुलिस के आने पर मुंशीलाल पर आरोप लगाया। जिस पर मुंशीलाल को गिरफ्तार कर लिया गया । 

 

फोरेंसिक बेंजाडाइन टेस्ट व सेल्यूलर लोकेशन बनी अहम कड़ी

 

पुलिस क्षेत्राधिकारी सुशील कुमार दुबे ने बताया की मामले की छानबीन में सेल्यूलर लोकेशन व फोरेंसिक टेस्ट अहम कड़ियॉं साबित हुई हैं। सभी संदिग्धों की बेंजाडाइन टेस्ट कराने पर सुदर्शन के हाथों व चप्पलों पर खून के धब्बे पाये गये। सुदर्शन से कड़ाई से पूछताछ करने पर वह टूट गया और हकीकत बता दी। सुदर्शन की निशानदेही पर सुदर्शन के घर से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद की गयी जिस पर कथित तौर पर खून के धब्बे पाये गये। पुलिस ने दोनों को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। 

 

विवादित जमीन पर ही बना दी सर्वेश की समाधी

 

बाबा रामगिरि उर्फ रामदास ने गॉव वालों की सहानुभूति व अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विवादित जमीन पर सर्वेश की समाधी बना दी। सूत्रों के अनुसार कई लोगों के श्मशान ले जाने के सुझाव को भी बाबा ने टाल दिया ताकि कुटिया पर उसका कब्जा बना रहे। मौके की नजाकत को देखते हुए पुलिस ने भी कोई एक्शन लेना उचित नहीं समझा।

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